इसके तहत
नर्सरी से आठवीं तक के बच्चों को रोजाना पहला पीरियड यानी 40 मिनट में
हैप्पीनेस पर ध्यान दिया जाता है. हैप्पीनेस करिकुलम के तहत बच्चों को
मेडिटेशन कराया जाता है, ज्ञानवर्धक और नैतिकता संबंधित कहानियां सुनाई
जाती हैं.
एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज़ का विद्यार्थियों के जीवन में महत्त्व
स्कूल के बाद पढ़ाई से थके दिमाग के लिए
एनर्जी ब्रेक का काम करती हैं जिससे का दिमाग फ्रेश फील कर पाता है.
समय का सही प्रबंधन सीखने में मिलती है मदद
विद्यार्थी अपने भीतर छुपी विभिन्न रुचियों को कर पाते हैं एक्स्प्लोर
. विद्यार्थी के आत्मविश्वास में होती है वृद्धि
. एक उचित गोल निर्धारित करने में मिलती है मदद
विद्यार्थियों सीखते हैं टीम वर्क स्पिरिट
निष्कर्ष
आज के समय में मात्र किताबी ज्ञान होना काफी नहीं है बल्कि बढ़ते कम्पटीशन के युग में एक कदम आगे रहने के लिए हर व्यक्ति के पास एडिशनल स्किल्स का होना बेहद ज़रूरी हो गया है जो कि विद्यार्थी स्कूल में रहते एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज़ में हिस्सा लेकर प्राप्त कर सकते हैंl
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